हिंदी संधि नोट्स, संधि परिभाषा,भेद Sandhi in Hindi, Paribhasha, Udaharan

संधि परिभाषा और उदाहरण – Sandhi Ki Paribhasha Sandhi in Hindi

सन्धि – दो वर्णों या ध्वनियों के संयोग से होने वाले विकार (परिवर्तन) को सन्धि कहते हैं। सन्धि करते समय कभी–कभी एक अक्षर में, कभी–कभी दोनों अक्षरों में परिवर्तन होता है और कभी–कभी दोनों अक्षरों के स्थान पर एक तीसरा अक्षर बन जाता है। इस सन्धि पद्धति द्वारा भी शब्द–रचना होती है;

जैसे-
सुर + इन्द्र = सुरेन्द्र,
विद्या + आलय = विद्यालय,
सत् + आनन्द = सदानन्द।

इन शब्द खण्डों में प्रथम खण्ड का अन्त्याक्षर और दूसरे खण्ड का प्रथमाक्षर मिलकर एक भिन्न वर्ण बन गया है, इस प्रकार के मेल को सन्धि कहते हैं।

Contact Us On Whatsapp For Notes Job Alert Notification – 9352018749

Download Sandhi Notes Pdf सन्धि नोट्स पीडीऍफ़ Click Here

सन्धि के भेद/सन्धि के प्रकार

सन्धियाँ तीन प्रकार की होती हैं

  1. स्वर सन्धि
    a. दीर्घ सन्धि
    b- गुण संधि
    c. वृद्धि सन्धि
    d. अयादि संधि
    e. यण सन्धि
  2. व्यंजन सन्धि
  3. विसर्ग सन्धि
Language Teaching Method NotesClick Here
Sanskrit Teaching Method NotesClick Here

स्वर सन्धि Swar Sandhi

स्वर के साथ स्वर का मेल होने पर जो विकार होता है, उसे स्वर सन्धि कहते हैं। स्वर सन्धि के पाँच भेद हैं-
(i) दीर्घ सन्धि सवर्ण ह्रस्व या दीर्घ स्वरों के मिलने से उनके स्थान में सवर्ण दीर्घ स्वर हो जाता है। वर्गों का संयोग चाहे ह्रस्व + ह्रस्व हो या ह्रस्व + दीर्घ और चाहे दीर्घ + दीर्घ हो, यदि सवर्ण स्वर है तो दीर्घ हो जाएगा। इस सन्धि को दीर्घ सन्धि कहते हैं; जैसे

सन्धि – उदाहरण

अ + अ = आ – पुष्प + अवली = पुष्पावली
अ + आ = आ – हिम + आलय = हिमालय
आ + अ = आ – माया + अधीन = मायाधीन

Hindi Vyakaran Notes हिंदी व्याकरण नोट्स Click Here

व्यंजन सन्धि Vyanjan Sandhi

व्यंजन के साथ व्यंजन या स्वर का मेल होने से जो विकार होता है, उसे व्यंजन सन्धि कहते हैं। व्यंजन सन्धि के प्रमुख नियम इस प्रकार हैं (क) यदि स्पर्श व्यंजनों के प्रथम अक्षर अर्थात् क्, च्, ट्, त्, के आगे कोई स्वर अथवा किसी वर्ग का तीसरा या चौथा वर्ण अथवा य, र, ल, व आए तो क.च.ट. त. पके स्थान पर उसी वर्ग का तीसरा अक्षर अर्थात क के स्थान पर ग, च के स्थान पर ज, ट के स्थान पर ड, त के स्थान पर द और प के स्थान पर ‘ब’ हो जाता है;

जैसे-
दिक् + अम्बर = दिगम्बर
वाक् + ईश = वागीश
अच् + अन्त = अजन्त

विसर्ग सन्धि Visarg Sandhi

विसर्गों का प्रयोग संस्कृत को छोड़कर संसार की किसी भी भाषा में नहीं होता है। हिन्दी में भी विसर्गों का प्रयोग नहीं के बराबर होता है। कुछ इने-गिने विसर्गयुक्त शब्द हिन्दी में प्रयुक्त होते हैं;

जैसे-
अत:, पुनः, प्रायः, शनैः शनैः आदि।

Contact Us On Whatsapp For Notes Job Alert Notification – 9352018749

→ For More Free Job Alert Click Here ← 
• GET All Sarkari Result Free •
∗ Click Here To Like Us On Facebook ∗
→ Contact Us On Whatsapp – 9352018749 ←

 

Leave a Comment